Mrs. Kothari- एक अनोखी प्रेम कहानी
भाग-2
फैशन डिज़ाइनिंग की जिद्द
करुणा के जाने के बाद रीना, रिया के कमरे में आती है और उसे डाँट लगाती है, -"रिया दिमाग खराब है क्या तेरा। तुझे थोड़ी भी समझदारी है कि नही.. जब देखो तब पैसा.. पैसा.. क्या जरूरत थी तुझे करुणा दीदी के पास वैसा बोलने की। अब वह अगर यह सारी बातें अपने रिश्तेदारों के सामने बोलेगी तो.."
"ओफ्फहो मम्मी..! आप बेकार में मुझे डाँट रही हैं। मैंने तो बस मज़ाक में बोला था ताकि मैं उनसे पीछा छुड़ा सकूँ..।" -रिया अपनी माँ को सफ़ाई देती हुई बोलती है।
"ऐसी बातें मज़ाक में बोली जाती है..?" -रीना बोलती है।
तब रिया अपनी माँ से इतनी छोटी-छोटी बातों की टेंशन ना लेनी को बोलती है।
तभी दरवाज़े की घंटी बजती है।
तब रिया की माँ रिया से जा कर दरवाज़ा खोलते को बोलती है, -"लगता है तेरे पापा आ गएँ।"
रिया जा कर दरवाज़ा खोलती है। दरवाज़े पर रिया के पिता जी थे।
" रिया बेटा! ज़रा मेरे लिए एक ग्लास पानी तो ले कर आना।" -रिया के पिता घर के अंदर आ कर सोफ़े पर बैठते हुए रिया से बोलते हैं।
"जी पापा..अभी लाई।" -रिया इतना बोलकर रसोई की ओर चली जाती है।
तभी रीना बाहर आती है और सोफ़े पर बैठती हुई बोलती है, -"आ गए आप.. कैसा रहा आज का दिन..?"
"ठीक रहा रीना.." -रिया के पापा सुस्ताते हुए बोलते हैं।
तभी रिया पानी ले कर आती है, -"ये लीजिए पापा.. पानी।"
"पापा मुझे आपसे कुछ जरूरी बात करनी हैं।" -रिया अपने पिताजी से मुस्कुराते हुए बोलती है।
रिया के पिताजी भी मुस्कुराते हुए कहते है, -"हाँ, बोलो बेटा! क्या बात है..।"
"पापा.. वो मैंने फैशन डिज़ाइनिंग के लिए ऐडमिशन की बात बोली थी ना आपको.." -रिया हिचकिचाते हुए अपने पिता से बोलती है।
रिया के पिता उसकी बात सुन कर चिंतित हो जाते हैं। और रिया को समझाते हैं कि वो जिस इंस्टिट्यूट में ऐडमिशन लेना चाहती है वहाँ की फ़ीस बहुत ज़्यादा है और उनके पास उतने पैसे नही है। फिर भी वह कोशिश करेंगे अगर कहीं से कुछ जुगाड़ हो सके तो..
रिया अपने पिता की बात सुन कर खुशी से उछलने लगती है, -थैंक यूँ पापा!" और इतना कह कर अपने कमरे में चली जाती है।
तभी रीना बोलती है, -"लेकिन आप इतने पैसे कहाँ से लाएंगे..
इसकी जिद पूरी करने के लिए आप क्या कुछ भी करेंगे.."
"शांत हो जाओ रीना! मैं देखता हूँ क्या करना है। चलो.. मेरा खाना लगा दो। बहुत भूख लगी है।" -रिया के पिता उसकी माँ से कहते हैं।
"ठीक है जी! अभी लगाती हूँ।" -रीना खाना लगाने रसोई में चली जाती है।
रिया के पिता हेमंत लाल पेशे से एक बैंक में कर्मचारी हैं। और उनकी सैलरी बहुत ज़्यादा नही है। वह एक सरल स्वभाव के ईमानदार व्यक्ति है।
और दूसरी और रिया स्वभाव से जिद्दी है। वह खूबसूरत तो है और अपनी खूबसूरती पर उसे नाज़ भी है। उसे शॉपिंग करना, दोस्तों के साथ घूमना और हमेशा सज-संवर कर रहना बहुत पसंद है। जिससे कि आस-पास रहने वाले हमेशा उसकी तारीफ करते रहें। एक मध्यम वर्गीय परिवार से होने की वजह से बहुत बार उसके महँगे-मँहगे ड्रेसेज़ और कॉमेस्टिक्स खरीदने की इच्छा अधूरी रही रह जाती है। इस वजह से वह पैसे को बहुत ज़्यादा महत्व देती है। उसे लगता है पैसे से हर खुशी खरीदी जा सकती है। रिया का ऐसा मानना है कि अगर इंसान के पास ढ़ेर सारे पैसे है तो वह दुनिया की कोई भी खुशी खरीद सकता है।
अपने माता-पिता की इकलौती संतान होने के कारण रिया और हेमंत ने रिया की हर जरूरत पूरी की है। पर उसके महँगे-महँगे शौक के आगे वे दोनों लाचार हो जाते हैं।
रिया के माता-पिता चाहते है कि वह किसी अच्छे से कोचिंग इंस्टीट्यूट को ज्वाइन कर सरकारी नौकरी की तैयारी करे और किसी सरकारी बैंक में नौकरी ले ले। पर इसके विपरीत रिया किसी महँगे इंस्टिट्यूट से फैशन डिज़ाइनिंग करना चाहती है। जो कि उसके माता-पिता के बस के बाहर की बात है। रिया की माँ उसे हमेशा समझाती है कि जितनी चादर है हमें उतने ही पैर फैलाने चाहिए पर रिया पर उसका कोई असर नही होता।
क्या रिया का सपना पूरा होगा..?
रिया के पिता कहाँ से पैसे जुगाड़ करेंगे..
जानने के लिए जुड़े रहिए कहानी के अगले भाग के साथ..
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क्रमश:
©स्वाति चरण पहाड़ी
डॉ. रामबली मिश्र
09-Jul-2023 10:24 PM
👌👏👍🏼
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